Tuesday March 19, 2024
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गोरखनाथ गुफा, भक्तियाना श्रीनगर

गोरखनाथ गुफा, भक्तियाना श्रीनगर
गोरखनाथ गुफा, भक्तियाना श्रीनगरगोरखनाथ गुफा, भक्तियाना श्रीनगरगोरखनाथ गुफा, भक्तियाना श्रीनगर
गोरखनाथ गुफा - भक्तियाना, श्रीनगर

नवनाथ परम्परा में गोरखनाथ जी नौ वें नाथ जो कि गुरू मछिन्दरनाथ के शिष्य थे। गुरु गोरखनाथ ने हठयोग का प्रचार किया था और अनेक ग्रन्थों की रचना भी की थी। अवधारणा है कि गुरू गोरखनाथ की केवल दो ही स्थानों पर गुफायें बनाई गई हैं एक तो त्र्यम्बक वाराह तीर्थ में और दूसरी केदारखण्ड श्रीनगर में। ऋषिकेश-श्रीनगर राजमार्ग पर आई०टी०आई० तथा पालीटेक्निक जिस स्थान पर मिलते हैं वहां से एक पैदल मार्ग पौड़ी मार्ग की तरफ जाता है, जो कि मुख्यतया पौड़ी-खण्डा-करैंखाल मार्ग के नाम से जाना जाता है। उसी मार्ग पर लगभग २०० मीटर की दूरी पर उत्तमवाला, अपर भक्तियाना, बीघा धारा के पास स्थित है। यहां गुरू गोरखनाथ की समाधि तथा उनकी मूर्ति एक भव्य शिवलिंग के साथ स्थापित है। इस मन्दिर में नाथ सिद्ध परम्परा के प्राचीन अवशेष देखने को मिलते हैं। एटकिंसन के मतानुसार समाधि की रचना सन्‌ १६६७ ई० में हुई थी जबकि पुजारियों के पास से प्राप्त एक ताम्रपत्र में सन्‌ १६६७ ई० इसके जीर्णोद्धार की तिथि है।
प्राचीनकाल में गुफा मन्दिरों की संरचना तथा बनावट कैसी रही होगी इसका अनुमान इस मन्दिर को देखकर लगाया जा सकता है। वस्तुत: बाहर से किसी भवन की तरह दिखने वाला दिखने वाला यह मन्दिर अन्दर से चट्‌टान को काट व तराश कर बनाई गई गुफा है। मुख्य गुफा में प्रवेशा करने का द्वार बहुत संकरा तथा छोटा है (साढ़े तीन फीट ऊंचा व पौने दो फीट चौड़ा) जिसमें घुटनों के बल ही प्रवेश किया जा सकता है। लगभग ६-७ फीट अन्दर जाकर एक गोलाकार गुफा है जिसके मध्य में गुरु गोरखनाथ की मूर्ति एवं मूर्ति के सम्मुख चरण-पादुका स्थापित है। गुरू गोरखनाथ की यह ध्यानस्थ मूर्ति लगभग पौने दो फीट ऊंची काले पत्थर की अत्यधिक सुन्दर है। मूर्ति का इतना सजीव चित्रण देखकर अनुमान लगाया जा सकता है कि मूर्तिकार नि:सन्देह कुशल तथा रचनात्मक रहा होगा। गुफा कि दीवारें एक कठोर चट्‍टान को बारीक छेनियों तथा हथौड़ियों की सहायता से सपाट किया गया है जो कि प्राचीनकाल के काश्तकारों की कार्यकुशलता तथा परिश्रम का परिचय देती हैं। गुफा का शुष्क, वातानुकूलित एवं आर्द्रतारहित वातावरण देखकर यह अनुमान लगाया जा सकता है कि इस तरह की गुफायें साधकों हेतु उपयुक्त साधना स्थल रहा करती होंगी।
गुफा के ठीक सामने एक चबूतरा है जिस पर चौखम्बी मन्दिर बना हुआ है जो कि मुख्यतया भैरवनाथ जी का है। इस चबूतरे पर बटुक भैरव की दो मूर्तियां है जो कि सिन्दूर से पुती हुई हैं। मूर्ति के सम्मुख ही त्रिशूल, चिमटा, कड़े, मून्दड़े रखे हुये हैं। बटुक भैरव के साथ हनुमान जी की मूर्ति भी स्थापित है। चबूतरे के चारों स्तंम्भ पत्थर के बने हुये हैं जो कि मण्डप की बड़े बड़े प्रस्तर पटलों से बनी आकर्षक छत का भार मजबूती से संभालकर चौखम्बी को सुरक्षा प्रदान किये हुये हैं।
 



फोटो गैलरी : गोरखनाथ गुफा, भक्तियाना श्रीनगर

Comments

1

Triloknath | September 17, 2016
informative article,a devotee and disciple of nathpanth would hardly be able to get such information in detail .

2

himanshu patwal | October 07, 2013
great job done by you and your team, its increase tourist in uttarakhand

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