Tuesday March 19, 2024
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लक्ष्मण मन्दिर, देवल गांव पौड़ी

लक्ष्मण मन्दिर, देवल गांव पौड़ी
लक्ष्मण मन्दिर, देवल गांव पौड़ीलक्ष्मण मन्दिर, देवल गांव पौड़ीलक्ष्मण मन्दिर, देवल गांव पौड़ी

सीता और लक्ष्मणजी सितोन्स्यूं क्षेत्र की जनता के प्रमुख अराध्य देव हैं। देवल गांव में शेषावतार लक्ष्मण जी का एक अति प्राचीन मन्दिर है। इसके चारों और छोटे बड़े ११ प्राचीन मन्दिर और हैं। इन बारह मन्दिरों की संरचना और उनमें स्थापित मूर्तियां अत्यन्त सुन्दर और कलापूर्ण हैं । लक्ष्मण जी के मन्दिर के सम्मुख एक प्राचीन नौबतखाना है। कुछ एक अति प्राचीन मन्दिरों के अतिरिक्त इस जिलें में किसी भी मन्दिर में नौबतखाना नहीं है। यह मन्दिर की महत्ता और प्राचीनता का सूचक है। क्षेत्रीय पुरातत्व अधिकारी डा० बुद्धिप्रकाश बडोनी के अनुसार काल-क्रम की दृष्टि से इस मन्दिर को दो वर्गों में विभक्त किया जा सकता है प्रथम वर्ग के अनुसार लक्ष्मण व शिवमन्दिर हैं। इन मन्दिरों को १८७९ वीं श० ई० में निर्मित किया मान जाता है। इन मन्दिरों की वास्तुयोजना अत्यन्त सरल है। लक्ष्मण मन्दिर के गर्भगृह में पद्म. चक्र और शंख धारण किये हुऐ विष्णु, लक्ष्मी, नारायण, ब्रह्मा, गणेशा तथा महिष-मर्दिनी दुर्गा की मध्यकालीन मूर्तियां स्थापित हैं। दूसरे वर्ग के मन्दिर शैली के अनुसार १२वीं-१३वीं श० ई० में निर्मित माने जाते हैं। अधिकांश मन्दिरों में गर्भगृह तथा अर्द्धमण्डप का प्राविधान है। सभी मन्दिरों में नागर शैली के अन्तर्गत त्रिरथरेखा शिखर निर्मित पर निर्मित है जो कर्णभाग पर भूमि आमलकों से सुसज्जित है। मुख्यमन्दिर मे लक्ष्मण जी की शयनमुद्रा में अतिप्राचीन मूर्ति मिलती है। कहा जाता है कि श्रीराम से विदा लेकर जब लक्ष्मणजी माता सीता को सितोन्स्यूं वाल्मीकि आश्रम में छोड़ने लगे तो लक्ष्मणजी मूर्छित हो गये थे, शेषाशयी लक्ष्मणजी की यह मूर्ति उनकी इसी अवस्था की परिचायक है। देवल के प्राचीन कुण्ड पर भी लक्ष्मणजी की वैसी ही मूर्ति स्थापित है। मन्दिर में आज भी दोनों समय पूजा होती है नौबत बजती है तथा नैवेद्य बंटता है।



फोटो गैलरी : लक्ष्मण मन्दिर, देवल गांव पौड़ी

Comments

1

Srivatsava | September 07, 2022
Is there any contact number for the temple please ?

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Srivatsava | September 07, 2022
Is there any contact number for the temple please ?

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AJAY UPRETI | July 15, 2020
My father shri Hari Ram Upreti ji, we used to take the family to the village every year. (Hm sab bahut miss karte hai apna village )

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saurabh upreti | October 05, 2015
I was born in this village. Truly a remarkable historic temple. Most of my childhood i played around the temple. I miss my village

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Sandeep Bhatt (From Falswari, Pauri) | October 14, 2014
Nice, useful information

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rameshsinghbisht | December 11, 2013
very nice

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Bishambernath Sharma | June 13, 2013
Bhut he achha lga. subah sandha.

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